Sunday 4 September 2016

न जाने कहाँ चले गए वे गुरुजन

 












न जाने कहाँ चले गए  वे शिक्षकगण 
मेरे उस विद्यालय के 
नहीं मिलता है कोई उनमें से 
जब जाता हूँ उनकी खोज में 
क्या सभी आदरणीय बह गए
 प्रलय में समय के ?



न जाने कहाँ चले गए वे गुरुजन 
मेरे उस महाविद्यालय के 
उनमें से कोई श्रद्धाभाजन 
वहाँ नहीं करते हैं अब शिक्षण 
पर वे जीवित हैं मुझ में , उनके स्वर 
प्रतिध्वनित नभ में मेरे हृदय  के !






 

Xavier Bage

Mon, 05 September, 2016