Sunday 21 August 2016

ये गुस्सैल हवा जाने क्या खबर लाए !




















वो क्यों अभी तक घर को न आए?

तीन दिन पहले निकले थे नाव में 
एक दिन में लौट आते थे गाँव में 
पड़ोस के मछुवारों के साथ- साथ 
दिन गुजर गया, बीत गई अब रात 
बेचैन खाड़ी की तरह मन घबराए !

.वो क्यों अभी तक घर को न आए?

मछलियाँ रहती हैं उन लहरों के पार 
जाना पड़ता है वहाँ  खतरों पर सवार 
ज़िन्दगी के  लिए खेलने मौत से जूआ 
पॉंव तले होता है हमेशा अतल कूआँ 
ये गुस्सैल हवा जाने क्या खबर लाए !

वो क्यों अभी तक घर को न आए ?

Xavier Bage
Sun, Aug 21, 2016




No comments:

Post a Comment