Monday 1 August 2016

आज छुट्टी हो जाए वर्षा के दिन की !




 
















राम करे  ऐसा हो जाए
आज एक छुट्टी  हो जाए 
वर्षा के दिन की !

इस साल एक दिन भी नहीं आया ऐसा 
अब तो बारिश का मौसम बीता जैसा 
क्या वर्षा रानी भी 
करने लगी अपने मन की ?

कभी न भींगा ड्रेस न भींगी किताब 
रास्ते पे खड़े थे भींगने को बेताब 
बिजली चमकी थी जरूर 
छुवन न मिली घन की !


मम्मी भेज देती है ढक के रेनकोट 
कार घुस जाती है स्कूल छत की ओट 
सुनी जरूर थी मैंने बाहर 
बूंदों की  पायल खनकी !


Xavier Bage
Tues, Aug 02, 2016


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