राम करे ऐसा हो जाए
आज एक छुट्टी हो जाए
वर्षा के दिन की !
इस साल एक दिन भी नहीं आया ऐसा
अब तो बारिश का मौसम बीता जैसा
क्या वर्षा रानी भी
करने लगी अपने मन की ?
कभी न भींगा ड्रेस न भींगी किताब
रास्ते पे खड़े थे भींगने को बेताब
बिजली चमकी थी जरूर
छुवन न मिली घन की !
मम्मी भेज देती है ढक के रेनकोट
कार घुस जाती है स्कूल छत की ओट
सुनी जरूर थी मैंने बाहर
बूंदों की पायल खनकी !
Xavier Bage
Tues, Aug 02, 2016
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