क्या गाँव, क्या शहर,
बाढ़ ने ढाया कहर !
डूबी भैंस , डूबी गाय,
दुखी गरीब को दी हाय,
डूबी झोपड़ी, डूबी डगर।
बह गई बस, बह गई कार ,
मोटरबाइक संग बहा सवार,
साइकिल अटकी बीच भँवर।
धुली खेत, मिट गई मेड़,
नदी तीरे झुक गया पेड़,
भरे नाले, भर गई नहर।
चूल्हे में न जली आग ,
बच्चे भूखे रहे हैं जाग ,
गई सुबह, गई दोपहर।
Xavier Bage
Thurs, Aug 11, 2016
No comments:
Post a Comment