Thursday 11 August 2016

बाढ़ ने ढाया कहर





















 क्या गाँव, क्या शहर,

बाढ़ ने ढाया  कहर !



डूबी भैंस ,  डूबी गाय,

दुखी गरीब को दी हाय,

डूबी  झोपड़ी, डूबी  डगर।



बह गई बस, बह गई कार ,

मोटरबाइक संग बहा  सवार,

साइकिल अटकी बीच भँवर।



धुली खेत, मिट गई मेड़,

नदी तीरे झुक गया पेड़,

भरे नाले, भर गई  नहर।



चूल्हे में न जली आग ,

बच्चे भूखे रहे हैं जाग ,

गई सुबह,  गई दोपहर। 

Xavier Bage

Thurs, Aug 11, 2016

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