जी करके देख औरों के लिए ,
खुद के लिए जिए तो क्या जिए !
मौसम रहते आते -जाते,
हर दिन एक जैसा कहाँ पाते।
मगर दुःख के वक़्त कँटीले ,
हमेशा आस-पास रह जाते।
इंसान वही है सही मायने में,
जिसने ग़म दूसरों के पिए !
जिसने ग़म दूसरों के पिए !
दो पल बिता ले साथ किसी के ,
कर ले दिलासे की बात किसी से।
जला ले कहीं एक छोटा-सा दिया,
हटा ले एक टूक रात किसी से।
बोल सके तो बोल गा सके गा,
ना बैठ तू अधरों को सिए !
Xavier Bage
Fri, June 16, 2016
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