कौन माटी कौन परदेश
कैसी बोली कैसा रे वेश
ओ गिरमिटिया, ओ गिरमिटिया
कहाँ चल दिया?
जानता भी है कितना है दूर ?
काम जो तुझे करेगा मज़बूर ?
अच्छे जीवन की आशा में ,
तूने क्या-क्या किया !
बुलाया करता है तेरा गाँव ,
लौटेंगे क्या कभी तेरे पाँव ?
अपने रसीले कूँए छोड़कर
तूने खारा पानी पिया !
अरब , अफ्रीका और वेस्ट इंडीज ,
पड़े हैं तेरे पसीने के बीज।
क्या नहीं तरसता कभी भी
स्वदेश के लिए जिया?
Xavier Bage
Sat, June 25, 2016
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