Friday 8 April 2016

यही है वो पल




















यही है वो पल


यही है वो क्षण 
यही है वो पल 
इस बंद  कमरे से 
बाहर तो निकल 
कदम तू बढ़ा ले 
किसी और की ओर 
कर ले तू एक पहल 
यही है वो पल।
  
आनेवाला कल कभी नहीं  आता 
जो आज है पल  चलता ही जाता 
जो करना है अभी ही करना है 
जो नहीं किया तो आहें भरना है 
समय रहते करना है भलाई 
हवा में  क्यों  बनायें महल 
यही है वो पल। 

दुनिया में बहुत है घना अँधेरा 
बहुतों को चाहिए नया सबेरा 
तेरे भीतर  एक सितारा है 
जादुई  चमक का एक पिटारा है 
बिखेरकर  किरणें प्यार की 
बुराई का धोना है गरल। 
यही है वो पल।

जीवन क्या है ज़रा सोच ले 
किसी के नैन से आंसू पोंछ ले 
बन जा एक डूबते का सहारा 
एक लफ्ज़ भी देता है किनारा 
जाने ना दे कोई अवसर 
हर एक मुहूर्त है विरल !
यही है वो पल !

ज़ेवियर बेज 
Fri, April 8, 2016

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