यही है वो पल
यही है वो क्षण
यही है वो पल
इस बंद कमरे से
बाहर तो निकल
कदम तू बढ़ा ले
किसी और की ओर
कर ले तू एक पहल
यही है वो पल।
आनेवाला कल कभी नहीं आता
जो आज है पल चलता ही जाता
जो करना है अभी ही करना है
जो नहीं किया तो आहें भरना है
समय रहते करना है भलाई
हवा में क्यों बनायें महल
यही है वो पल।
दुनिया में बहुत है घना अँधेरा
बहुतों को चाहिए नया सबेरा
तेरे भीतर एक सितारा है
जादुई चमक का एक पिटारा है
बिखेरकर किरणें प्यार की
बुराई का धोना है गरल।
यही है वो पल।
जीवन क्या है ज़रा सोच ले
किसी के नैन से आंसू पोंछ ले
बन जा एक डूबते का सहारा
एक लफ्ज़ भी देता है किनारा
जाने ना दे कोई अवसर
हर एक मुहूर्त है विरल !
यही है वो पल !
ज़ेवियर बेज
Fri, April 8, 2016
No comments:
Post a Comment