Saturday 30 April 2016

आज टूटी हुई है मेरी तान














आज टूटी हुई है मेरी तान
पंछियों की मीठी ध्वनि में
मिला लो मेरा दरिद्र गान।

जग के प्रदूषण से मेरा
बाल-मन हो गया मलीन
मेरे स्पर्श से उपवन के
पुष्प भी हो जाते हैं क्षीण।
खंडित हो गया मेरा ध्यान।

कैसे चढ़ूँ पावन मंदिर में
इन पाँवों पे चढ़ी है धूल
ह्रदय भी अब कलुषित है
मुझसे हुई है असीम भूल
पापमय हुआ है यह प्राण।

सुना है तेरा नाम लेना  भी
धो सकता है अपार मैल
तन-मन के कण-कण में
तेरा नाम-जप जाए फ़ैल
तेरे सान्निध्य का दे वरदान। 

Xavier Bage
Sun, May 01, 2016





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