Wednesday 27 April 2016

अगर मिल जाता रोशनी का इशारा




















अगर मिल जाता  इक रोशनी का इशारा
ज़िन्दगी कुछ और ही होती
अगर मिल जाता इक प्यार का सहारा
ज़िन्दगी कुछ और ही होती।

भटकती हुई इक नाव थी
थपेड़ों में लहरों के
अगर दिख जाता इक छोटा सा किनारा
ज़िन्दगी कुछ और होती। 


गरीबी के धक्के  खा-खा कर
गिर-गिरकर चलते रहे
अगर  होता दौलतमन्द घर हमारा
ज़िन्दगी  कुछ और ही होती।

आवाज़ों की भीड़ थी चौराहे पर
मन को भरमाने को
अगर मिल जाता सच का प्यारा
ज़िन्दगी और ही होती।

बुझते चले गए किस्मत के दीये
देकर उपहार अँधेरों का
जो होता आकाश में एक सितारा
ज़िन्दगी कुछ और ही होती।

ज़ेवियर बेज़
गुरु, अप्रैल 28 , 2016

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