डॉक्टर, मुझ पर कीजिए उपकार
डॉक्टर, मुझ पर कीजिए उपकार
मेरी स्किन को देखिए न
खुजलवाती है दिन रात
कुछ तो कर दीजिए उपचार।
न मेरा कोई मालिक है
न है मेरा कोई निवास
कूड़े पर सोया करता हूँ
खाकर सड़ा- गला ग्रास ।
सह रहा हूँ किस्मत की मार।
गली का कुत्ता कहलाता हूँ
मेरा नहीं है कोई नाम
कोई मुझे पास बुलाता नहीं
कहके रॉकी, राजा, टॉम।
मुझे कोई नहीं करता प्यार।
सीधी राह मैं चला करता हूँ
न कोई अभ्यास है ख़राब
बीड़ी-सिगरेट नहीं पीता हूँ
ना मुंह लगायी है शराब।
किस पाप का ढो रहा हूँ भार।
पैसे तो न दे सकूँगा मैं
मैं हूँ एकदम ही गरीब
गुलाम बनकर सेवा करूँगा
हूँगा सदा आपके करीब।
इस रोग से दिलाइए निस्तार।
ज़ेवियर बेज़
Wed, April 13, 2016
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