बहुत याद आता है खोया हुआ प्यार ,
तनहाई में रुलाता है खोया हुआ प्यार।
वो मुस्कान और वो हँसी ,
जो मेरी रग -रग में बसी,
जब तब नाच जाती है नज़र के सामने।
बिजली-सा चमक जाता है बहा हुआ संसार ,
बहुत याद आता है खोया हुआ प्यार।
सहलाहट स्नेहिल हाथों की ,
प्रेरणा स्वप्नमय बातों की ,
महसूसता है ये मन हर पल हर दिन।
रेगिस्तानी लू बन गया, मैं शीतल बयार,
बहुत याद आता है खोया हुआ प्यार।
बहुत याद आता है खोया हुआ प्यार।
ताका करता हूँ फूटा ये नसीब,
पेड़ों का साया भी न रहा करीब,
पेड़ों का साया भी न रहा करीब,
मिले थे कुछ लोग गले से लगानेवाले ;
बिछुड़कर चले गए सीमाओं के पार ,
बिछुड़कर चले गए सीमाओं के पार ,
बहुत याद आता है खोया हुआ प्यार।
Xavier Bage
Mon, April 25, 2016
No comments:
Post a Comment