कितनी अच्छी बात है
लोग विनम्र हो गए हैं
पहले से ज्यादा !
शीश झुकाए मिल जाते हैं
ट्रेनों में , बसों में , चाय दूकानों में
होटलों में, रास्तों में मैदानों में
अपने मोबाइल के परदे पर
आँखें गड़ाए हुए लोग
लोग शिष्ट हो गए हैं
पहले से ज्यादा।
कितनी अच्छी बात है
लोग समझ गए हैं
शब्द-प्रदूषण बुरी चीज है
इससे खराब होते हैं कान
अब कर्ण -रोधी यंत्र सुलभ हैं
इस कान ठूंस यंत्र को लगा लिया तो
सैकड़ों डिसिबल कोलाहल हो
कुछ नहीं बिगाड़ सकता!
कितनी अच्छी बात है !
पहले झगड़ते थे लोग
खाने की मेज पर भी
अब खाना प्लेट पर
हथेली पर स्मार्ट फ़ोन
और उँगलियाँ स्क्रीन पर
दूर के प्रियजनों को सन्देश
प्रेषित करते हुए लोग !
वाह, वाह , यांत्रिक क्रांति
हमें दिला दी कितनी शांति !
जो गोली-बन्दूक से नहीं आयी
तोप -टैंक से नहीं आयी
प्लेन - मिसाइल से नहीं
लाठी- डंडे से नहीं आयी
चुटकी बजाते , बटन दबाते
दबे पाँव चली आयी
धन्य हो टेक्नोलो जी !
ज़ेवियर बेज़
सोम, मई 02 , 2016
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