मेरी स्मृतियों की उँगलियाँ
टटोलती हैं मेरे पिता का चेहरा
मेरी माँ का मुख धुंधला- सा
टेढ़ी- मेढ़ी रेखाओं में उभरता
एक-दो बार आई थी मुझसे मिलने
पर अब वो कहाँ है, क्या पता !
एक पापा तो हैं अभी के घर में
मुझे बहुत करते भी हैं प्यार
पर मुझे मालूम है औरों की तरह
एक पापा तो हैं अभी के घर में
मुझे बहुत करते भी हैं प्यार
पर मुझे मालूम है औरों की तरह
वो हैं मेरे बस पापा पालनहार
एक माँ भी है जो मेरा रखती ख्याल
एक माँ भी है जो मेरा रखती ख्याल
लेकिन वो भी हैं मेरे लिए उपहार!
मेरे भाई-बहन भी जो साथ हैं
मेरे भाई-बहन भी जो साथ हैं
दरअसल नहीं हैं मेरे अपने
वो घर जिसमे मैं रहता हूँ
है एक अनाथाश्रम वास्तव में
है एक अनाथाश्रम वास्तव में
खाना, पीना और कपडा सब है वहां
लेकिन मैं हूँ कौन, मन बार-बार सोचे !
माँ बुलाती है बड़े मीठी आवाज़ से
प्यार से लेकर मेरा नाम
पापा लगाते हैं गले से
जब खुशी दिखाना हो काम
तब भूल जाता हूँ अपना अकेलापन
खुशी दे जाती है हँसी सुबह-शाम
न जाने क्या पैगाम दे रहे हैं
चमकते सितारों के इशारे
एक शिशु-मन खोज रहा है
उफनती नदियों के किनारे
तूफ़ान में उडा हुआ एक पत्ता मैं
किस पेड़ को अपना कह पुकारे !
माँ बुलाती है बड़े मीठी आवाज़ से
प्यार से लेकर मेरा नाम
पापा लगाते हैं गले से
जब खुशी दिखाना हो काम
तब भूल जाता हूँ अपना अकेलापन
खुशी दे जाती है हँसी सुबह-शाम
न जाने क्या पैगाम दे रहे हैं
चमकते सितारों के इशारे
एक शिशु-मन खोज रहा है
उफनती नदियों के किनारे
तूफ़ान में उडा हुआ एक पत्ता मैं
किस पेड़ को अपना कह पुकारे !
ज़ेवियर बेज़
बुध, मई 11 , 2016
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