Tuesday 3 May 2016

मचा हुआ है शोर

 














गली -गली में मचा हुआ है शोर 
ये है चोर वो है चोर 
उँगली उठा-उठाकरचिल्ला रहे लोग 
ये है चोर वो है चोर !

शोर -शराबे में दब गयी सच्चाई,
ता-ता थई-थई नाच रही लुच्चाई।
ईमानदारी रो रही है चारों ओर ,
 मचा  हुआ है शोर !

जिनके दामन भी दाग से काले,
वे दिखा रहे खुद को ईमानवाले।
बेइंसाफी का बाजार है घनघोर ,
मचा हुआ है शोर !


सभा -संसद में भी यही बात है 
दिन है जहाँ आती वहीँ रात है 
बल जब तक बुराई दिखाए जोर 
मचा हुआ है शोर !

ज़ेवियर बेज़ 
बुध, मई 4 , 2016

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