गली -गली में मचा हुआ है शोर
ये है चोर वो है चोर
उँगली उठा-उठाकरचिल्ला रहे लोग
ये है चोर वो है चोर !
शोर -शराबे में दब गयी सच्चाई,
ता-ता थई-थई नाच रही लुच्चाई।
ईमानदारी रो रही है चारों ओर ,
मचा हुआ है शोर !
जिनके दामन भी दाग से काले,
वे दिखा रहे खुद को ईमानवाले।
बेइंसाफी का बाजार है घनघोर ,
मचा हुआ है शोर !
सभा -संसद में भी यही बात है
दिन है जहाँ आती वहीँ रात है
बल जब तक बुराई दिखाए जोर
मचा हुआ है शोर !
ज़ेवियर बेज़
बुध, मई 4 , 2016
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