Wednesday 18 May 2016

कुछ निशाँ छोड़ जाऊँगा



















ज़िन्दगी के  बालू पर कुछ निशाँ छोड़ जाऊँगा ,
चाहे मिटा दें ये लहरें कुछ बयाँ छोड़ जाऊँगा। 

पूरा रास्ता न भी बना सका तो क्या हुआ,
दो एक चट्टानें यहाँ ज़रूर फोड़ जाऊँगा।

दयालु खुदा ने कुछ वरदान दिए हैं मुझे  ,
कुछ टूटे  हुए दिल मैं ज़रूर जोड़ जाऊंगा।

कुछ याद रहेंगे ज्यादा भुला दिए जायेंगे  ,
कुछ गीतों से जहाँ की राहें मोड़ जाऊंगा। 

इंसान जनम लिया तो इंसानियत करनी है ,
ख़ुदग़र्ज़ी  की कुछ आदतें ज़रूर तोड़ जाऊँगा।

कुछ फसल प्यार की मुझे यहाँ लगानी है ,
दो एक कुदाल ही सही ज़मीन कोड जाऊँगा। 


Xavier Bage

Thurs, May 19, 2019

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