Monday 16 May 2016

दो नज़ारे
















मिनटों के अंदर ही
मैंने देखे दो नज़ारे
एक जगह डिस्को ताल पर 
झूमते हुए लड़के -लड़कियाँ जवान  
और दूसरी जगह
एक अलग दृश्य
मुंह बाये  मौत से
लड़ते -जूझते हुए प्राण !


एक क्लब के बाहर
ताल से ताल मिलाती
झिलमिलाती, आँख मटकाती
नाचती हुई रोशनी रंगीन
मिठास हीन  संगीत  के साथ
इधर-उधर पाँव  मोड़ते
ऊपर-नीचे हाथ फेंकते
युवा बदन मौज-मस्ती में लीन !

कैंसर अस्पताल के अंदर
मास्क पहने  हुए मरीज़
नाक के भीतर डाले हुए पाइप
मृतप्राय लेटे हुए शरीर
मॉनिटर बता रहे हैं
जिन्दा भी हैं या नहीं
आती-जाती साँस जाने कब
छोड़ जाए जहाँ की पीर !

घर वापस आ गयी 
जंग जीत कर एक बेटी 
मृत्यु को देखकर करीब से 
जीवन  की लेकर नयी पहचान 
अनुभव की तुलना से गुजरकर 
नयी उपलब्धि से संपन्न 
कठिन तपस्या का फल 
मिला है कोई दिव्य प्रज्ञान !

Xavier Bage
Tues, May 17, 2016


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