रुलाने के कारण बहुत हैं
चलो हँसाने का बहाना ढूँढ़ें,
दुनिया में आँसू बहुत हैं
चलो खुशियों का तराना ढूँढें।
ज़िन्दगी में सैलाब बहुत हैं
आदमी की रूह बहाने को ,
लहरों पर उम्मीद जगाता रहे
चलो ऐसा कोई फ़साना ढूँढ़ें।
इंसान नहीं जीता सिर्फ रूपये से
खाने- पीने से ऐशोआराम से ,
जो उसके दिल को चैन दे सके
चलो ऐसा कोई खज़ाना ढूँढ़ें।
कितने लोग खड़े हैं कड़ी धूप में
भूखे-प्यासे मुसीबत के मारे ,
मकान न दे सके न सही उनको
चलो दरख़्त कोई सुहाना ढूँढ़ें।
ज़ेवियर बेज़
गुरु, मई 05 , 2016
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