Thursday 5 May 2016

चलो हँसाने का बहाना ढूँढ़ें


















रुलाने के कारण बहुत हैं
चलो हँसाने का बहाना ढूँढ़ें,
दुनिया में आँसू बहुत हैं 
चलो खुशियों का तराना ढूँढें।

 ज़िन्दगी में सैलाब बहुत हैं 
आदमी की रूह बहाने को ,
 लहरों पर उम्मीद जगाता रहे
 चलो ऐसा कोई फ़साना ढूँढ़ें।

इंसान नहीं जीता सिर्फ रूपये से

खाने- पीने से ऐशोआराम से ,
जो उसके दिल को चैन दे सके
चलो ऐसा कोई खज़ाना ढूँढ़ें।



कितने लोग खड़े हैं कड़ी धूप में 
भूखे-प्यासे मुसीबत के मारे ,
मकान न दे सके न सही उनको 
चलो दरख़्त कोई सुहाना ढूँढ़ें। 


ज़ेवियर बेज़ 
गुरु, मई 05 , 2016

 

 

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