Saturday 21 May 2016

जुगनू कुछ नहीं होता


















दिन के उजाले में देखो तो 

जुगनू कुछ नहीं होता 

होता है एक बदसूरत कीड़ा 

दो डैने मटमैले-मटमैले 
दो बेढंगे से पैर 
बदन का रंग भूरा-भूरा 

मक्खी का एक रूप दूसरा !


रात के अँधेरे में 
उसकी अदाएँ तो देखो

उसकी नखरे तो देखो 
उसका गुमान तो देखो

सूरज की रोशनी की  साफगोई 

उजागर कर देती है 

उसका असली चेहरा !



अगर जानना हो सच्चाई 

पास जाके देखो जरा 

अगर असलियत को  है पाना 

खोजा करो रोशनी के  साथ 

बहुत कुछ छिप जाता है 

अँधेरे के परदे के पीछे 
नज़रों को रोकता है काला कोहरा!





Xavier Bage

Sat , May 21 , 2016 

No comments:

Post a Comment