दिन के उजाले में देखो तो
जुगनू कुछ नहीं होता
होता है एक बदसूरत कीड़ा
दो डैने मटमैले-मटमैले
बदन का रंग भूरा-भूरा
मक्खी का एक रूप दूसरा !
रात के अँधेरे में
उसकी अदाएँ तो देखो
उसकी नखरे तो देखो
उसका गुमान तो देखो
सूरज की रोशनी की साफगोई
उजागर कर देती है
उसका असली चेहरा !
अगर जानना हो सच्चाई
पास जाके देखो जरा
अगर असलियत को है पाना
खोजा करो रोशनी के साथ
बहुत कुछ छिप जाता है
अँधेरे के परदे के पीछे
नज़रों को रोकता है काला कोहरा!
Xavier Bage
Sat , May 21 , 2016
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