दुश्मनी बहुत कर ली दोस्ती की शुरुआत करें
अमन से सब जी सकें उस बस्ती की शुरुआत करें
रेखाएँ खींची ज़मीन पर दिलों को किया दूर
मोड़कर कदम अपने वापसी की शुरुआत करें
मज़हब के बहाने हमने नफरत बहुत कर ली
हर इंसान की इज़्ज़त में बंदगी की शुरुआत करें
गोलियाँ बहुत चलायीं मौत बहुत बांटा किए
चलो अब नए सिरे से ज़िंदगी की शुरुआत करें
फ़र्क़ के गीत बहुत गाये बजाए जिहादी ढोल
इंसानियत के नाम पर शायरी की शुरुआत करें
कँटीले तार लगाए क्यों सिंधु-गंगा के बीच
नहरों में पानी आए-जाए रवानी की शुरुआत करें
नहरों में पानी आए-जाए रवानी की शुरुआत करें
Xavier Bage
Thurs, May, 26, 2016
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