Wednesday 18 May 2016

वे छोटे-छोटे फूल मैदान के


















वे छोटे-छोटे फूल मैदान के 
नज़र नहीं आते हैं 
जब तक न देखो 
अपने नज़दीक ध्यान से 
मन मोह लेते हैं 
अपनी मुस्कान से 
निश्छल चुपचाप !

कितनी छोटी है उनकी ज़िंदगी 
अभी हैं दोपहर को होंगे नहीं 
फिर भी गा रहे हैं 
सृष्टिकर्ता की बंदगी 
वे देवदूत निष्पाप !

पिस जायेंगे निर्मम पैरों तले 
खेलनेवाालों के दिन ढले 
लेकिन जब तक है प्राण 
भक्ति  में ही पल चले 
करते नाम जाप !

Xavier Bage 
Wed , May 18, 2016

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