वे छोटे-छोटे फूल मैदान के
नज़र नहीं आते हैं
जब तक न देखो
अपने नज़दीक ध्यान से
मन मोह लेते हैं
अपनी मुस्कान से
निश्छल चुपचाप !
कितनी छोटी है उनकी ज़िंदगी
अभी हैं दोपहर को होंगे नहीं
फिर भी गा रहे हैं
सृष्टिकर्ता की बंदगी
वे देवदूत निष्पाप !
पिस जायेंगे निर्मम पैरों तले
खेलनेवाालों के दिन ढले
लेकिन जब तक है प्राण
भक्ति में ही पल चले
करते नाम जाप !
Xavier Bage
Wed , May 18, 2016
No comments:
Post a Comment